Aasra Anubhav Aasra

परिकल्पना है समाज के उनलोगों के लिए कुछ करने की जिन्होंने बहुत कुछ करने के बाद विश्राम की सोची थी पैर पता चला मंजिल पर पहुच केर यह तो मृगमरीचिका थी,अभी और चलना है चलते रहना है वरिष्ट जन विरासत है समाज के समय सम्पन्नता अनुभव को सहेजना है कुछ पाने की तम्मना है तो बढे चलो

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Friday, April 22, 2011

सेवासदन के सेवक

Posted by Unknown at 10:15 AM
Labels: कर्म ही जिनकी पूजा है और भक्ति में शक्ति

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