Saturday, May 14, 2011

विश्व धर्म सम्राट विश्वगुरु श्रीअनंतानंत कन्चिपीठाधिश





आदरणीय
विश्व धर्म सम्राट विश्वगुरु श्रीअनंतानंत कन्चिपीठाधिश
स्वामी जयेन्द्र सरस्वतीजी महाराज
विनय है की आप इस धराधाम पर सनातन धर्म रूपी मंच है धर्म का अनुशरण करने वालो के प्राण प्रतिक से विनय है की मध्य प्रदेश के मठ मंदिरों के हालत पर गौर करें
इस संबंध में उल्लेखनीय है की प्रदेश में अठारह लाख मठ मंदिर है संत महंत पुजारियों की संख्या अठाईस हजार है जो वैदिक विधि विधान से पूजा अर्चना करते है, हालत ये है की मठ मंदिरों की जमीं और सम्पति पर बाहूबलियों का अधिपत्य है,धनाभाव पूजन अर्चन में विघ्न है और सम्पादित होना कठिन हो रहा है,
इस दिशा में पीताम्बर पीठ भोपाल से जुड़े वरिष्ठ नागरिको द्वारा मठ मंदिरों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में प्रयास प्रारम्भ केर दिया गया है इस तारतम्य में यज्ञ हवन योग पराकृतिक चिकित्षा गोशाला संस्कृत शिक्षा के छेत्र में मंदिरों को विकसित करने का प्रयास स्वयं सेवी संस्था तथा प्रबुध्नागरिको के सहयोग से प्रारंभ हो चूका है
किन्तु आज की परिस्थिति में पुजारी को कमसे कम १५००० रुपये तथा महंतो को ५०००० रुपये प्रतिमाह की आवस्यकता है ये राशि संत महंत देवी देवताओ के साथ साथ आगंतुकों को बालभोग राजभोग भोजन प्रसाद की व्यवस्था हेतु अवस्यक है.
गोशाला हेतु कम से कम १० एकड़ जमीन उपलब्ध हो तो इसका उपयोग दूध के साथ दवाइयों के निर्माण और वन्य औसधि के लिए किया जा सकता है,
भोपाल झीलों की नगरी राजा भोजपाल द्वारा संरक्षित रही है योग गुरु महर्षि पतंजली
की साधना स्थली के अध्यात्मिक विकाश में सलंग्न हम संत समाज का मार्ग निर्देशन करते हुए इस आर्थिक संकट रूपी बाधा के विघ्न विनायक से आशीर्वाद की कामना सहित
महंत रविन्द्र दास
प्रांतीय संयोजक षट्दर्शन साधु समाज
साधु मंडल भोपाल



यह.हर्ष का विषय है की रविन्द्रदास जी के आमंत्रण को महाराज ने स्वीकार कर प्रातः छे बजे माँ पीताम्बरापीठ आयकर कालोनी भोपाल पहुच कर पूजा अर्चना कर वहा उपस्थित भक्तोको आशीर्वाद देते हुए माँ भगवती और उनके आशीर्वाद के अनुसरण में कार्य के योग की अपेक्षा की.
चित्र उसी अवसर के है

No comments: