Wednesday, July 13, 2011

ये विरासत है बोझ नहीं

परम आदरनीय गुरूजी
चर्चा का स्मरण करें शेर बुढा हो गया है शिकार कर नहीं सकता फिर भी शेर की कल्पना और फोटो देख के भी बच्चे डर जाते हैं??उसका बल रूप राज्य और अंत भी आम नहीं होता विशिष्ट सदा विशिष्ट रहता है आप आदरणीय है बने रहें माँ भगवती से यही प्रार्थना है की आपकी छवि को कभी धूमिल न होने दे वक्त की धुल झाड़ने के प्रयाश में स्वयं गन्दा न हो
मेरा लक्ष्य है
वरिस्थ समुदाय के अनुभव का सदुपयोग' उनकी सेवा ये विरासत है बोझ नहीं
आपने बहुत कमाया किया उनको सहेजना और उसको लोगों तक पहुचाना सबके बस की बात नहीं क्योंकि ज़माने की भाषा अब नइ पीढ़ी ही जानती है हम अनपढ़ रह गए भगवान के वजूद से किसी को इंकार नहीं फिर भी पाप और पुण्य करने वालों का लेखा जोखा कही न कही है यही आत्मबोध हमें कुमार्ग से सन्मार्ग की ओर ले जाती है धन धर्म साधना का अंत नहीं राज्य की रखवाली में धन जन बल का अपब्यय होता है भूख और भोग से तृप्ति सा कोई सुख नहीं आपने सब पर विजय पाया है दिया क्या???????
विगत वर्ष के आयोजन में सबकी आहुति महत्वपूर्ण रही है मगर हमने श्राप और मिथक वचनों को भी आशीर्वाद स्वरुप ही लिया इस वर्ष के आयोजन का आगाज हो चूका है पतंजलि की मूर्ति पानी में भीग रही है यज्ञ मंडप टूट रहा है जिन्होंने पतंजलि पर किताबे लिखी शोध किया पुरस्कृत हुए तथा वृद्धों के लिए कुछ करना चाहते हैं उनकी किसी को सुध नहीं
मैं जन्म से ब्राम्हण हूँ "Serenity, self-restraint, austerity, purity, forgiveness and also uprightness, knowledge, realisation and belief in God are the duties of the Brahmans, born of their own nature." (Gita Ch 18 V 42)

Addressing a Gandharv (Kabandh), Shri Ram said: "Listen, O Gandharva, to what I tell you - I cannot tolerate an enemy of the Brahmans. He who without guile in thought, word and deed does service to the Brahmans (the very gods on earth), wins over Brahma, Shiv, Myself and all other divinities

स्कूल का उद्घघाटन गुरुपूर्णिमा के दिन प्रस्तावित है मंदिर परिसर में(प्रस्तावित मंदिर का नक्सा भी विगत वर्ष श्री दुबेजी द्वारा प्रकाशित)
पतंजलि मूर्ति की स्थापना यज्ञ मंडप का पुनर्निर्माण आपके योजनानुरूप वृद्आश्रम (वरिष्ठ समुदाय केंद्र) सुर्य चिकित्सा केंद्र बनाने का संकल्प लेने का यह उचित अवसर होगा इस सम्बन्ध में मेरे द्वारा सतत प्रयत्न जारी है और बहुत से लोगों से संपर्क भी किया जा चूका है,
उम्र के इस पड़ाव पर आपकी परिकल्प्नावो को मूर्त रूप देने में सहायक बना कर भगवती ने बहुत से लोगों को भेजा उनमे से एक मुझे भी कुछ करने का सौभाग्य प्राप्त हो मै जरुरत नहीं पर ये सबकी जरुरत है.कार्य को गती देने में
आपकी अनुमति और आशीर्वाद की अपेक्छा सहित

No comments: