Friday, May 6, 2011

गम और खुशी

आदरणीय गुरूजी/मोहिनिजी
मिलने न मिलने का न गम है मुझे न खुशी न दुःख है मुझे इस बात का की मैंने वृधाश्रम के लिए बूंद भी नहीं डाला अगर ये आकलन सत्य है तो उपरोक्त चित्र में अधिकारी लेखक विषय विशेषज्ञ ज्योतिषी कर्मकांडी गृहस्त महिला कानून के ज्ञाता सभी तरह के लोग है चित्र अभी और भी है जिन्हें मैं पहले से भी जानता हूकुछ से परिचय योग अनुसन्धान केंद्र में आने के बाद हुआ मैंने सबके जीवन को बहुत करीब से देखा है मुझे पता नहीं मेरे बारे में सबके विचार क्या है पैर मै सबके लिए अछे विचार रखता हू पैसे से ज्यादा सेवा को महत्त्व देता हू सेवा का कोई मूल्य नहीं होता मै इतने वृद्धों के करीब रहा आपने वो दिया जो किसी को न मिला न मिलेगा इससे बड़ी उपलब्धि मेरे काम की क्या हो सकती है,
मै चाहता हू की विषय विशेषज्ञों के साथ लाभार्थियों को बुलाकर भावी योजना क्रियान्वित की जाये ये हमारी जरुरत है उपरोक्त सभी और आपकी सेवा अमूल्य हैआप्से अनुरोध है की पुनर आकलन करने की कृपा करे प्रति दिन ३० किलोमीटर इस उमर में प्रतिदिन जाने आने का श्रम व्यय का कोई मूल्य नहींफिर भी मैंने बहुत कुछ पाया है नकार नहीं सकता
विवादों में समय नाश्ट न करते हुए कार्य को गति देने में सहायता देने की कृपा करें
आभारी

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