मान्यवर मिश्रा जी ,
आना है जिसे आए मगर ब अदब आए ,ये दिल है कुएजाना है रह गुजर नहीं I मान्यवर, जब कोई जुड़ता है तो किली को बुरा नहीं कहता चाहे पीताम्बर हो या एल पि यदि मुझे बुरा कहेगे तो क्या संस्था चल पायेगी कभी नहीं मान्यवर में मात्र विचारक हु सब जनता हु मैंने कल भी कहा था अगर में बुरा हु तो जुड़ने की क्यों कोशिश की जाए खुले दिल से आवे तो कोई बुराई नहीं मुझे तो नींद आती है और किसी का कर्जदार भी मालिक ने नहीं बनाया में देश के लिए जी रहा हुI अपने विचार शुध्द कर मेरी जगह बैठ कर सोचेगे तब सही दिखेगा रोज आप मुझे सीख देते रहेगे में जवाब देता रहूगा करना कुछ है नहीं I
आचार्य शंकुशल
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