परम आदरणीय गुरूजी/मोहिनिजी
कल हुई चर्चा का स्मरण करें यदि आदेश हो तो वृधाश्रम के चेत्र में काम केर रहे लोगो को आमंत्रित किया जाय, उससे पूर्व श्री राजन सक्सेना ,टीकाराम यादव मंजुला तथा जो लोग भी विगत एक वर्ष से ज्यादा से जुड़े है उनकी रूचिऔर सहयोग की सहमति लेना अवस्यक है .
मेरे विचार से पतंजली की मूर्ति स्थापना स्थल या मंदिर परिसर में ही वरिष्ठ समुदाय केंद्र का स्थान चिन्हित करना उचित होगा फिर भी श्री त्रिपाठी जी सक्सेना जी साधू समाज के संत जिन्होंने भी गोदरमउ में विदेशी दल का नेतृत्वा किया था तथा पतंजली से जुड़े लोग सबकी राय लेनी चाहिए
पतंजली महाराज की मूर्ति की स्थापना में योगनुसधान केंद्र के वरिष्ठ जनो की सहभागिता के साथ एक आश्रय होगा शिछा खेल एवं उद्योग से लगे लोगो का
समाज के वृद्ध साधू समाज तथा राजनयिकों अधिकारियो के निकट रहा है है योग आनुसंधान केंद्र विगत वर्ष के आयोजन को सफल बनाने में जो भी सहयोगी रहे है उनसे पुनः साथ चलने का अनुरोध करना अवस्यक होगा
गुरूजी मन स्वीकार नहीं करता हमारी सोच भले ही २७ या २६ की हो शारीर ७२ तथा ६२ का हो चूका है अनिश्चितता की स्थिति छोड़ निश्चित में आइये उम्र के इस पड़ाव में विरक्ति नहीं अशक्ति आ जाती है विश्वास का स्थान अविश्वास ले लेता है मै न तो खेलने वाला हूँ न बिगड़ने वाला देखने वाला भी नहीं हू मैंने तो सुनने वाला साधक हू गाली और मंत्र मेरे लिए एक से है मैंने मन की वेदना को सुना है आपसे पीताम्बरा एल.पी.सिह त्रिपाठी साहब हो या सिह सबका भाव दुःख सोच एक है इनकी आत्मा आपको पुकार रही है हो सकता है कभी आपको किसी ने पीड़ित किया हो किन्तु आज सबको आपके मलहम की जरूरत हैअगर आपने इन्हे ठीक नहीं किया तो यहाँ तो ये परेसान ही रहे उपर जाकर भी शांत न रहेगे फिर आपको नींद कैसे आएगी आशा है आप अन्यथा न लेंगे यह तो मेरे विचार है मैं जनता हूँ गौर करना न करना यह तो समय मंनह स्थिति सामंजस्य पर निर्भर है
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