परम आदरणीय गुरूजी/मोहिनिजी
शायद आपने पत्र पढ़ा नहीं या जवाब नहीं देना चाहा मै कभी भी बे अदब होकर कभी पेश नहीं आया न आऊंगा शायद आपने मेरा आकलन भी ठीक किया मैं किसी काम का नहीं मैंने तो बुरा और अच्छा दोनों स्वीकार किया है करता रहूगा मुझे अपने लिए बिना मूल्य कोई चीज नहीं चाहिए न मैंने अपेक्छा की हम सभी कर्जदार है जिन्होंने गुरु से शिक्षा मुफ्त में ग्रहण की साधक हू भटक रहा हू फिर भी आप सम्मानीय है रहेंगे फिर भी मेरा आग्रह है जो लोग आपसे (योगनुसंधन केंद्र) जुड़े रहे है एक बार फिर से उन्हें संजोने का प्रयास मुझे करने दे उन वृद्धों लाभार्थियों पतंजली योग से जुड़े लोगो को आमंत्रित कर उनकी अपेक्छाओ को सुनने से क्या बेआदबी होगी?
मोहिनिजी ने तो शायद विषय पैर मौन धारण ही केर लिया और कुछ लोग तो मुझे शुरू से ही खेल बिगड़ने वाला समझते है गुरूजी मेरा पुनः अनुरोध है आकलन सही करें??
आपेक्छा सहित
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